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पहाड़ मुस्कान सदियों से किसका लेकिन अब हकीकत में मुमकिन नही... सुबह वाली चाय तोह मैं बन ही जाऊँगा इन दिखावे वालें अपनों से... मनवणे अश्क खूबसूरत शाम सुबह शाम प्रकृति माँ इस ख्वाबो वाली सपनों से... हमेशा जरा बचके ही रहना पगली से बातें याद वक्त दिल ख्वाब लेकिन तू चाय के साथ वाली नमकिन नही... हो सके तोह दूर ही रहना

Hindi शाम से गुपचुप बातें Audios

द्वारा लिखित संदीप शर्मा, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश

द्वारा वाचन RAMAN SHARMA